साइनस का दर्द एवं उपचार

साइनस का दर्द एवं उपचार
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साइनस का प्रमुख लक्षण सिरदर्द हैं जिसमे शख्स को सिरदर्द होता है। साइनस नाक की समस्या है, जिसे साइनोसाइटिस (Sinusitis) या साइनस की समस्या के नामों से भी जाना जाता है। यह बीमारी उस स्थिति में होती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की हड्डी बढ़ जाती है और जिसकी वजह से उसे जुखाम रहता है। साइनस (Sinus) को ज्यादातर लोग एलर्जी के रूप में देखते हैं क्योंकि इसकी वजह से उन्हें धूल, मिट्ठी, धुंआ इत्यादि की वजह से सांस लेने में परेशानी होती है। लेकिन, यह मात्र एलर्जी नहीं है बल्कि नाक की मुख्य बीमारी है, जो मुख्य रूप से नाक की हड्डी के बढ़ने या तिरछी होने की वजह से होती है।

साइनस मुख्य रूप से निम्न कारणों से हो सकता है – 

एलर्जी होना – यह नाक की बीमारी मुख्य रूप से उस व्यक्ति को हो सकती है, जिसे किसी तरह की एलर्जी होती है।इसी कारण व्यक्ति को अपनी एलर्जी की जांच समय-समय पर कराती रहनी चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना – यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) कम है, तो उसे साइनस की समस्या हो सकती है।

नाक की असामान्य संरचना होना – नाक की यह समस्या उस स्थिति में हो सकती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की संरचना असामान्य होती है।अत: जब कोई व्यक्ति इस समस्या को लेकर किसी डॉक्टर के पास जाता है, तो उस स्थिति में डॉक्टर उसके नाक का एक्स-रे करते हैं ताकि उसकी नाक की संरचना का पता लगाया जा सके।

फैमली हिस्ट्री का होना – किसी भी अन्य समस्या की तरह साइनस भी फैमली हिस्ट्री की वजह से हो सकती है।किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को साइनस है, तो उसे यह नाक की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।

माइग्रेन से पीड़ित होना – साइनस उस शख्स को भी हो सकती है, जो माइग्रेन (Migraine) से पीड़ित है।माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इसका इलाज सही से कराना चाहिए।

साइनस ठीक करने के  घरेलु नुस्खे –

इसके लिए ११ तुलसी के पत्ते , ११ काली मिर्च , ११ मिश्री के टुकड़े व २ ग्राम अदरक को २५०  ग्राम (एक गिलास ) पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर सुबह खाली पेट गर्म -गर्म पी लें । शर्त एक हैं पीने के एक घंटे बाद तक स्नान न  करें।

साइनस से छुटकारा पाने का सबसे तेज़ तरीका अपनी दिनचर्या में बदलाव करना है।इसके लिए अधिक मात्रा में पानी पीना, योगा करना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immunity power) को बढ़ाने वाले भोजन करना इत्यादि तरीके को अपनाया जा सकता है। साइनस में विटामिन और कैल्शियम युक्त भोजन करना चाहिए।इसके अलावा, हरी सब्ज़ियों और फलों का सेवन करना भी लाभकारी साबित हो सकता है।

क्या ना करें –

साइनस होने पर डेयरी युक्त भोजन जैसे दही, पनीर, दूध, मीठा, ठंडा इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही ध्रूमपान ना करें , छींकते या खांसते समय टिशू पेपर या रूमाल का उपयोग करें ,नाक को साफ रखें,स्ट्रॉ का इस्तेमाल ना करें ,डॉक्टर के संपर्क में रहें।

साइनस के दुष्प्रभाव –

साइनस का मस्तिष्क में फैलना- इस नाक की बीमारी के लाइलाज रहने पर यह शरीर के अन्य अंग (विशेषकर मस्तिष्क) में फैल सकता है। ऐसी स्थिति में ब्रेन सर्जरी को कराना ही एकमात्र विकल्प बचता है।

आंखों में संक्रमण का होना – साइनस का इलाज समय पर न होने के कारण आंख में संक्रमण हो सकता है।ऐसी स्थिति में आंख के डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है।

मस्तिष्क का खराब होना – यदि इस नाक की समस्या से पीड़ित व्यक्ति इसका इलाज समय रहते नहीं कराता है, तो यह मस्तिष्क के खराब या ब्रेन फेलियर का कारण बन सकता है।अत: किसी भी व्यक्ति को इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इसका इलाज सही समय पर कराना चाहिए।

अस्थमा की बीमारी का होना – कई बार ऐसा भी देखा गया है कि यदि साइनस लंबे समय तक लाइलाज रह जाता है तो वह यह अस्थमा होने का कारण बन सकता है।इस स्थिति में व्यक्ति को अतिरिक्त इलाज की जरूरत पड़ सकती है।

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